रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं?

 रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता हैं? कय कभी अपने इसका उत्तर सोचा? यदि नहीं सोचा हो तो आज हम इसके पीछे छिपे पौराणिक कथा को जान लेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं....


श्री कृष्ण को श्रुत्देवी नमक एक चाची थी और उन्होंने ने शिशुपाल नामक एक विकृत शिशु को जनम दिया था। और तभी एक आकाश वाणी हुई कि जिसके स्पर्श से शिशुपाल स्वस्थ होगा उसी के हाथो वह मारा जाएगा। एक दिन श्री कृष्ण अपने चाची के घर आए और श्रुत्देवी ने अपने पुत्र को श्री कृष्ण के गोद में दिया और तभी शिशुपाल स्वस्थ हो गए। तब श्रुत्देवी अपने पुत्र को स्वस्थ देखकर खुश हो गई परन्तु उनके चहरे पे एक चिंता की झलक आ गए क्योंकि आकाश वाणी के अनुसार शिशुपाल की मृत्यु अब श्री कृष्ण के हाथो होगी। इसके कारन श्रुत्देवी अपनी पुत्र की रक्षा के लिए श्री कृष्ण से प्रार्थना करने लगी। श्री कृष्ण से अपनी चाची क दुःख नही देखा गया और उन्होंने श्रुत्देवी को वचन दिया कि वोह शिशुपाल की सारी गलतियाँ क्षमा कर देंगे किन्तु यदि उसने सौ से अधिक गलतियाँ कर दी तो वह उसे दंड देंगे। शिशुपाल बड़े होकर चेदी नामक राज्य का क्रूर रजा बन गया। वोह अपनी प्रजा को सताता था और श्री कृष्ण को अपना शत्रु मानकर उन्हें चुनौती देने लगा। 

वही दूसरी ओर चल रहा था युधिष्टिर क राज्यभिसेख जिसमे अनेक देशों के रजा उपस्थित थे और उनमे शिशुपाल भी था। उसने पूरी सभा के समक्ष श्री कृष्ण क अपमान कर दिया। और तभी उसने अपनी सौ गलियों की सीमा दी थी। तुरंत ही श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र क शिशुपाल पर प्रयोग किया और उसका सर धर से अलग हो गया। श्री कृष्ण ने क्रोध से सुदर्शन चक्र चलाया था इसीलिए उनके ऊँगली थोरी सी कट गई। सभा में उपस्थित लोग श्री कृष्ण के घाव पे कुछ बांधने के लिए ढ़ूढ़ने लगे। लकिन वहा उपस्थित द्रौपदी ने अपने साडी क एक कोना काटकर श्री कृष्ण की ऊँगली में लपेट दी। श्री कृष्ण ने द्रौपदी से कहा "धन्यवाद बहना! तुमने मेरे कष्ट में सहायता की है तो मैं वादा करता है की मैं तुम्हारे कष्ट में सहायता करूँगा।"  और यह कहकर श्री कृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा करने क आश्वासन दिया था और उनको अपना बहन मन था। इसी घटना के बाद से रक्षा बंधन मनम=न प्रारंभ हुआ
बाद में जब कौरवो ने पूरी राज सभा के समक्ष द्रौपदी वस्त्र हरण करके उसका अपमान करने क प्रयत्न किया था तो श्री कृष्ण ने द्रौपदी को बचाकर अपना वादा पूरा किया था। उस समय से लेकर अभी तक बहने अपने भाई को राखी बंधती आ रही है और उसके बदले में भाई अपने बहन का जीवन भर रक्षा कने क वादा करते है। 

श्रावण मास की पूर्णिमा में राखी के आलावा कुछ अन्य त्यौहार भी मनाये जाते है। इस दिन पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ लोग राधा और कृष्ण की मूर्तियों को पालने में रखकर जूला जूलाते हैं इसीलिए इस दिन को झूलन पूर्णिमा कहते हैं। उत्तर भारत के कुछ राज्यों में लोग गेहू के बिग बोते है और इस दिन को कजरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता हैं। केरल और महाराष्ट्र के लोग इस दिन को नार्ली पूर्णिमा कहते है और इस दिन वह समुद्र दें की पूजा करते हैं।हलाकि इस दिन कई त्यौहार मानये जाते है लेकिन इनमे सबसे प्रमुख है रक्षा बंधन। रक्षा बंधन क मूल्य लक्ष्य भाई और बहन के बीच प्रेम स्थापित करना है और भाई को अपनी बहन की रक्षा करन है

धन्यवाद!


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